Sycon साइकॉन
साइकॉन को साइफा (Scypha) भी कहते हैं साइकॉन समुंद्र में पाया जाता है जो एक स्पंज है जो समुंद्र मेंं दूर-दूर तक फैला रहता है यह समुन्द्र के किनारे उभरी हुई चट्टानों से या अन्य किसी पदार्थ सेेे चिपके हुए पाए जाते हैं यह संघ वासी जीव होता है जिसकी कई शाखाएं होती हैं
बाह्य संरचना (External morphology)
साइकॉन संघों को बाह्य रूप से देखने पर वे एक वृक्ष के समान दिखाई देते हैं जिसमें दो या दो से अधिक ऊपर की ओर बेलनाकार शाखाएं होती हैं जिनका निचला भाग या आधार (Stolon) से जुड़ा रहता है साइकॉन की प्रत्येक शाखा लंम्बी बेलनाकार होती है जिसका मध्य का भाग थोड़ा उभरा हुआ होता है जिसकी प्रत्येक बेलनाकार शाखा का आकार 2 से 8 मिली मीटर तक होता है इस संघ की अधिकतम लंबाई 2.5 से 10 mm तक होती है प्रत्येक बेलनाकार शाखा के ऊपर का भाग सर्करा होता है जिसमें एक चौड़ा छिन्द्र पाया जाता है जिसे ऑस्कुलम (Osculum) कहते हैं ऑस्कुलम के चारों ओर असंख्य संख्या में कैल्केरियस कणिकाओं (Calcareous spicules) की एक झालर होती है जिसे ऑस्कुलर फ्रिज (Oscular fringe) या ऑस्कुलर झालर कहते हैं यह झालर साइकॉन के शरीर के अंदर छोटे-छटे छोटे जीव जंतुओं जंतुओं को अंदर जाने से रोकती है जो मोनेक्सान (monaxon) कणिकाओं की बनी होती है
साइकॉन का नाल तंत्र (Canal system of Sycon)
साइकॉन का शरीर छोटे-छोटे छिन्द्र और नालों के संगठन के द्वारा बना एक जटिल तंत्र होता है जिसे नालतंत्र कहते हैं इसमें निम्न संरचनाएं होती है
ऑस्टिया (Ostia)
साइकॉन के शरीर की ऊपरी सतह पर असंख्य संख्या में पॉलीगोनल (polygonal) संरचनाएं होती हैं जो अनियमित रूप से व्यवस्थित होती हैं और एक दूसरे से बड़े व गहरे खांचे के द्वारा एक दूसरे से अलग रहते हैं इन खांचे के अंदर छोटे-छोटे छिन्द्र पाए जाते हैं जिन्हें ऑस्टिया (Ostia) कहते हैं ये छिन्द्र आगे जाकर आपवाही (Excurrent) नाल में खुलते हैं साइकॉन के ऊपरी सतह पर कांटे के समान संरचनाएं दिखाई देती हैं जिन्हें मोनेक्सान (monaxon) कणिकाएं कहते हैैं
आवाही नाल (Incurrent Canals )
आवाही नाल (Incurrent Canals ) दो आरंंम्भी नालो के बीच में पाई जाती है जिसका अगला वाला भाग चौड़ा होता है जबकि पिछला वाला भाग सर्करा होता है बाहरी वाले भाग में एक छोटा सा छिन्द्र होता है जो रंध्र झिल्ली (pore membrane) के द्वारा ढका रहता है रंध्र झिल्ली के आंतरिक सतह पर कुछ छोटे-छोटे छिन्द्र होते हैं जिन्हें ऑस्टिया (Ostia) कहते हैं इन छिन्द्र के द्वारा बाहर से आवाही नाल (Incurrent Canals ) में जल आता है और आवाही नाल (Incurrent Canals ) का पिछला सिरा बंद होता है आवाही नाल (Incurrent Canals ) की संख्या आरंंम्भी नाल की संख्या के बराबर होती है लेकिन आरंम्भी नाल एपीथिलियम (Epithelium) की चपटी कोशिकाओं से आस्तरित रहते हैं जिन्हें पेनेकोसाइट (Pinacocytes) कहते हैं
आगामी द्वार (Prosopyles)
आवाही नाल (Incurrent Canals ) से जल अरीय नाल (Radial canals) मे अंतरा कोश में पाए जाने वाले सुक्ष्म छिन्द्र के द्वारा पहुंचता है इन सुक्ष्म छिन्द्र को आवाही नाल (Incurrent Canals ) से जल आगे जाने का द्वार या आगामी द्वार(Prosopyles) कहते हैं
अरीय नाल (Radial canals)
अरीय नाल (Radial canals) में जल आगामी द्वार के द्वारा आता है जो चौड़ा कक्ष होता है इसमें कशाभ (Flagella) अरीय दिशा में लगे होते हैं जो लंबवत बेलनाकार होते हैं। जो कीप कोशिकाओं (Choanocytes) के द्वारा अस्तरित होते हैं अरीय नाल (Radial canals) का बाहरी सिरा बंद होता है जबकि अंदर का सिरा अपद्वार (Apopyles) के द्वारा अपवाही नाल (Excurrent canals) में खुलता है
अपद्वार (Apopyles)
अरीय नाल (Radial canals) के ऐसे छिन्द्र जो स्पंजगुहा (Spongocoel) में जाकर खुलते हैं उन्हें अपद्वार (Apopyles) कहते हैं यह संकुचनशील पेेेेशीय कोशिकाओं केे द्वारा घिरे होते हैं जो एक अवरोधनी की तरह काम करती है
स्पंज गुहा (Spongocoel)
स्पंज गुहा (Spongocoel) शरीर में पाया जाने वाली एक केंद्रीय गुहा होती है जो ऊपर की ओर अक्ष बनाती है अरीय नाल (Radial canals) कोइनोसाइट(Choanocytes) की बनी होती है जबकि इस स्पंजगुहा (Spongocoel) का अस्तर पेनेकोसाइट (Pinacocytes) कोशिकाओं का बना होता है
ऑस्कुलम (Osculum)
स्पंज गुहा(Spongocoel) के ऊपरी भाग पर एक छोटा छिद्र होता है जो ऑस्कुलम (Osculum) के द्वारा बाहर की ओर खुलता है ऑस्कुलम (Osculum) के चारों ओर संकुचनशील पेशीय कोशिकाएं पाई जाती हैं जो आस्कूलर सिफनेक्टर की तरह कार्य करती हैं जो स्पंज गुहा(Spongocoel) से जल की बाहर निकलने वाली मात्रा का नियंत्रण करती है
जल प्रवाह (Current of water)
साइकॉन में जल धारा के प्रवाह मैं सबसे पहले ऑस्टिया (Ostia) के द्वारा जल आवाही नाल (Incurrent Canals ) में प्रवेश करता है आवाही नाल (Incurrent Canals )से जल आगामी द्वार (Prosopyles)के द्वारा अरीय नाल (Radial canals) में प्रवेश करता है आरीय नाल(Radial canals) की कीप कोशिकाओं में कशाभ (Flagella) पाए जाते हैं जिनसे जलधारा प्रवाहित होकर स्पंज गुहा (Spongocoel) में जाती है स्पंज गुहा से जल ऑस्कुलम (Osculum) के द्वारा बाहर निकल जाता है
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