बैलेनोग्लोसस
वर्गीकरण(Classification)
Phylum - कोर्डेटा (Chordata)
SubPhylum - हेमी कोर्डेटा(Hemichordata)
Class - एण्टेरोपन्यूस्टा (Enteropneusta)
Family - (ptychoderidae)
Species - क्लैवीजेरस (Clavigerus)
Genus - बैलेनोग्लोसस (Balanoglossus)
स्वभाव एवं आवास (Habit and Habitat)
बेलेनोग्लोसिस संसार के सभी समुद्र में
पाये जाने वाला एक समुद्री जीव है जो समुद्र के किनारे पर रेत में U आकार की बिल बना कर के रहता है इसकी संसार में लगभग 20 जातियां पाई जाती हैं इसकी प्रत्येक भुजा के आंतरिक सतह मैं श्लेष्मा ग्रंथियां पाई जाती हैं जो श्लेष्मा (mucus) का निर्माण करती हैं जिससे बिल के बालुई कण चिपक जाते हैं अर्थात सुरंग बनाने में सहायता करते हैं इसके शरीर के चारों ओर श्लेष्मा का आवरण होता है बेलेनोग्लोसस का शरीर तीन भागों में बटा होता है (I)शुड (proboscis) (II) कॉलर (callar) तथा (III)धड़ (trunk) शूड बेलेनोग्लोसस् को मिट्टी में धंसने या सुरंग बनाने में सहायता करता है शुड और कलर के मध्य मसल्स (muscles)पाई जाती हैं जो शुड तथा कॉलर को सिकुड़ने और फेलने में सहायता करती इसके शरीर में सीलिया पाए जाते हैं जो तैरने में सहायता करते हैं पानी में इनकी शुड (proboscis)और कॉलर (callar)कठोर हो जाते हैं जो मिट्टी में ज्यादा नीचे धसने में सहायता करते हैं तथा रेत में पाए जाने वाले कार्बनिक पदार्थों को अपने भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं
बाह्य संरचना (External morphology)
(1)आकार (Shape)
बैलेनोग्लोसस् बेलनाकार एक केंचुए (Earthworm)जैसा या कृमि के आकार के समान होता है जिसके पूरे शरीर पर सिलिया (Celia)पाए जाते हैं जो तैरने में सहायता करते हैं
नाप (size)
Balanoglossus की विभिन्न प्रकार की जातियों का आकार भिन्न भिन्न प्रकार का होता है जैसे बैलेनोग्लोसस क्लैवीजेरस (balanoglossus Clavigerus) जिसका आकार 10 से 50 सेंटीमीटर तक होता है
रंग Colour
बलेनो ग्लोसिस का शरीर चमकीला तथा रंग बिरंगी होता है
बैलेनोग्लोसस की संरचना structure of balanoglossus
बेलेनोग्लोसस के शरीर में कोई भी कंकाल नहीं पाए जाते और इसका शरीर तीन भागों में बटा होता है
(1) शुड (proboscis)
यह बैलेनोग्लोसस के शरीर का सबसे अग्रभाग होता है जो शंक्वाकार या शंख के आकार का होता है जो पेशियों के द्वारा बना होता है इसके आधार के पास एक छोटा सा छिद्र (pore) होता है जिसे शुड रंध्र (proboscis pore )कहते हैं इससे उत्सर्जी पदार्थ निकलते हैं
(2) कॉलर (Collar)
यह बैलेंनोग्लोसस के शरीर का मध्य भाग होता है जो बेलनाकार पेशीय कोशिकाओं (muscle cell) का बना होता है कॉलर का अग्रभाग प्रोबोसिस (proboscis) के पिछले भाग से जिस स्थान पर जुड़ा होता है उसे कॉलरेट (Collaretta) कहते हैं कॉलरेट के मध्य में एक चौड़ा छिद्र होता है जिसे मुख (mouth) कहते हैं मुख मुख गुहिका (buccal cavity) मैं खुलता है मुख गुहिका कॉलर गुहा मैं जाकर खुलती है जहां वृत्ताकार या गोलाकार खांचे पाई जाती हैं जो कॉलर को सिकुड़ने तथा फेलने में सहायता करते हैं कॉलर गुहा एक छिद्र के द्वारा धड़ मैं खुलती है
(3) धड़ (trunk)
यह बैलेनोग्लोसस (balanoglossus) के शरीर का सबसे लंबा व पतला भाग होता है जिसका मध्य भाग चौड़ा होता है जिसमें तंत्रिकाएं और रुधिर वाहिकाएं पाई जाती हैं धड़ (trunk) तीन भागों में विभाजित रहता है
(I) Branchal genital region
यह बैलेंनोग्लोसेस के धड़ (trunk ) का अगला सबसे बड़ा भाग होता है जो चपटा हुआ पंख के सामान फैला रहता है इस के मध्य भाग में आंत (Alimentary canal) पाई जाती है जिसके दोनों तरफ छोटी-छोटी संरचनाएं होती हैं जिन्हें क्लोम छिन्द्र (Gill pore) कहते हैं इसकी संख्या जंतु में वृद्धि के साथ बढ़ती रहती है चपटी व पंख जैसी संरचना में छोटे-छोटे सुक्ष्म छिंद्र पाए जाते हैं जिन्हें जनन अंग (gonad)कहते हैं जो जनन में सहायता करते हैं
(II) Hepatic region
हैपेटिक रीजन हरे रंग का होता है जिसके ऊपरी भाग में डायवर्टिकुलम (diverticulum)की उभरी हुई रचनाएं पाई जाती है जिन्हें सीकी (Caecae) कहते हैं इनकी उपस्थिति के कारण इनको आसानी से पहचान लिया जाता है यह भाग पाचन में सहायता करता हैं
(III) Post hepatic region or caudal region
यह धड़ का सबसे पिछला भाग होता है जो पतला होता है जिसके अंतिम भाग में एक छोटा सा छिंद्र होता है जिसे गुदाद्वार (anus) कहते हैं
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