यूग्लीना (Euglena)
संघ (Phylum) प्रोटोजोआ (Protozoa)
उपसंघ (Subphylum) सार्कोमैस्टिगोफोरा (Sarcomastigophora)
उपवर्ग (Subclass) मैस्टिगोफोरा (Mastigophora)
वर्ग (Class) फाइटोमैस्टिगोफोरा (Phytomastigophora)
गण Order यूग्लीनाइडा (Euglenida)
(1) वास एवं वासस्थान (Habit and Habitat) -
यूग्लीना में एक पर्णहरिम (Chlrophil) नामक हरा पदार्थ पाया जाता है जिसके कारण यह अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं इसलिए इन्हें जंतु तथा पादप के बीच की संयोजी कड़ी (Connecting links) कहते हैं इसे प्रोटोजोआ प्राणी भी कहते है यह तालाब पोखरों तथा नदी नाले आदि के रुके हुए जल में पाया जाता है जिसमें सड़ते हुए कार्बनिक पदार्थ की अत्याधिक मात्रा होने के कारण बरसात के दिनों में जब इनकी संख्या
बहुत अधिक हो होती है जिसके कारण जल की ऊपरी सतह हरी हरी दिखाई देने लगती है
(2) आकार एवं परिमाण (Shape and Size)
यूग्लीना तुर्करूपी लंबे आकार का सूक्ष्मजीव है
जिसकी लम्बाई 0.13 mm तक होती है। इसका अगला सिरा गोल होता है जबकि पिछला सिरा नुकीला कुन्द-सा होता है।
(3) आशय (Reservoir) -
यूग्लीना के शरीर का अगला भाग एक फ्लास्क के आकार की संरचना होती है । इसका शीर्ष भाग पर एक छिद्र होता है जो कोशिका मुख कहलाता है कोशिका मुख (Cytostome) एक गोल छोटी संरचना में जाकर के खुलता है जिससे आशय (Reservoir) कहते हैं कोशिका मुख (Cytostome) और आशय(Reservoir) को जोड़ते हुए एक नलिका के समान संरचना का निर्माण होता है जिसे कोशिका ग्रसनी (Cytopharynx) कहते हैं
।
(4) कशाभ (Flagella)-
आशय (Reservoir) के आधार से एक लम्बी पतली छड़ी के समान संरचना बाहर की ओर निकलती है जिसे कशाभ कहते हैं यह कोशिका ग्रसनी मैं से होता हुआ कोशिका मुख(cytostome) से बाहर की ओर निकल जाता है कशाभ (Flagella) को प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से देखने पर कशाभ (Flagella) में दो मूल संरचनाएं दिखाई देती हैं जिन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखने पर यह पता चलता है कि इसमें दो अलग-अलग कसाब होते हैं जिनमें से एक छोटा तथा एक बड़ा होता है छोटा कशाभ (Flagella)आशय (Reservoir) के अन्दर ही रह जाता है। बड़ा कशाभ (Flagella) के मूल भाग के पास एक उभार हुआ भाग होता है इसे पैराफ्लैजेलर काय (paraflagellar body ) कहते हैं।जो एक प्रकाशग्राही की भाँति कार्य करता है। इसमें
लैक्टोफ्लेविन (Lyctoflavin) नामक पदार्थ पाया जाता है जो सुग्राही का कार्य करता है। प्रत्येक कशाभ का निर्माण ब्लीफेरोप्लास्ट नामक गोल संरचना से प्रारम्भ होता है जो कोशाद्रव्य में पाया जाता है
(5) पेलिकल (Pellicle) -
यूग्लीना के शरीर के ऊपर बाह्य रक्षात्मक पर्त पाई जाती है जो काइटिन की बनी होती है। यह एक मजबूत लचीली झिल्ली के समान संरचना पाई जाती है जो प्लाज्मा मेम्ब्रेन के ठीक नीचे स्थित होती है जो जन्तु को एक निश्चित आकार प्रदान करती है। पेलिकल आवरण द्विस्तरीय होती है। इसकी बाह्य पर्त को एपिक्यूटिकल और आन्तरिक पर्त क्यूटिकल कहते है। पेलिकल आवरण फाइब्रस प्रोटीन की बनी एक संरचना होती है जिसमें समान्तर तथा सर्पिल (spiral) धारियाँ पाई जाती हैं इन धारियों को मायोनीमी (myonemes) कहते हैं। इनकी सहायता से यूग्लीना अपने शरीर को सिकोडता तथा फैलाता है शरीर को सिकुड़ने तथा फैलने कि प्रक्रिया से यूग्लीना में यूग्लीनॉयड गति पाई जाती है
इसको इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखने पर पेलिकल में दो पतली पट्टी के समान संरचना दिखाई देती हैं जो शरीर के दोनों सिरों पर जुड़ी होती हैं। एक पट्टी की खाँच दूसरी पट्टी का उभार पर फिट होती है। इस तरह से ये पटियाँ एक-दूसरे को ढंके रहती हैं।
(6) कोशाद्रव्य (Cytoplasm)
यूग्लीना में कोशाद्रव्य चारो और से पेलिकल आवरण के द्वारा घिरा रहता है कोशाद्रव्य में मुख्य रूप से दो स्पष्ट क्षेत्र दिखाई देते हैं - बाह्य परिधीय क्षेत्र या एक्टोप्लाज्म कहलाता है- जो पतला तथा सघन होता है। जिसके भीतरी क्षेत्र दानेदार द्रव भरा रहता है जिसे एण्डोप्लाज्म
कहते हैं। कोशाद्रव्य में मुख्यत: निम्न संरचनाएँ पायी जाती हैं
(I) केन्द्रक (Nucleus) -
यूग्लीना के कोशिका द्रव्य के मध्य से थोड़ा पीछे बड़ा अण्डाकार गोल वैसिकुलर संरचना पाई जाती है जिसे केन्द्रक कहते है। केन्द्रक में केन्द्रक द्रव्य भरा होता हैं जिसमें अनेक केन्द्रिकाएँ पायी जाती हैं। इन केन्द्रिकाओं
को एन्डोसोम्स (endosomes) भी कहते है। केन्द्रिकाओं के अतिरिक्त केन्द्रकद्रव्य में क्रीमैटिन के कण
भी पाए जाते हैं। केन्द्रकद्रव्य के चारों ओर एक केन्द्रक कला पायी जाती है
(II) हरित लवक या क्रोमैटोफोर (Chloroplasts or Chromatophores) -
यूग्लीना के कोशाद्रव्य में हरे रंग के छड़नुमा सरचना पाई जाती है जिसे क्रोमैटोफोर कहते है। इनमें पर्णहरिम होता है जो प्रकाश
संश्लेषण द्वारा मण्ड या भोज्य पदार्थों का निर्माण करता है। यूग्लीना में क्रोमैटोफोर शरीर के मध्य भाग
में चारों और फैलकर सितारे के जैसी संरचना बनाता हैं जिसके केन्द्रिय भाग में प्रोटीन की बनी एक
प्रोभुजक काय (pyrenoid body) होती है जो छोटे-छोटे पैरामाइलॉन कणों का समूह के द्वारा घिरी रहती है
(III) पैरामाइलम कण (Paramylum Granules) -
कोशिका द्रव्य के एण्डोप्लाज्म में पैरामाइलम कण
पाए जाते हैं जिनमें प्रकाश-संश्लेषण द्वारा निर्मित खाद्य पदार्थ होते हैं
(Iv) कुंचनशील धानी (Contractile Vacuole)
यह एक बड़ी संरचना होती है जो
आशय के निकट पाई जाती है इसके चारों ओर अनेक बहुत छोटी-छोटी सहायक कुंचनशील
धानियाँ होती हैं। जो अपना एकत्रित किया हुआ जल कुंचनशील रिक्तिका में डालती हैं और कुंचनशील धानी (Contractile Vacuole) - आशय के सम्पर्क में आकर फट जाती हैं। और आशय से जल व उसमें घुले उत्सर्जी पदार्थ साइटोस्टोम के द्वारा बाहर. निकाल दिए जाते हैं।
(V) नेत्र बिन्दु या प्रकाश बिन्दु (Stigma or Eyespot)
नेत्र बिन्दु नारंगी-लाल रंग का प्रकाश बिन्दु होता है जो प्रकाश के लिए संवेदनशील होता है।
जिसमें हीमैटोक्रोम वर्णक के दाने पाए जाते हैं जिसके कारण यह वर्णक प्रकाश संवेदी होता है। स्टिग्मा द्वारा
अवशोषित प्रकाश ऊर्जा कशाभ की पैराफ्लैजेलर काय को उत्तेजित करती है।
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