लाइसोसोम की संरचना (Structure of Lysosome Related by Science)

लाइसोसोम (Lysosome)

* लाइसोसोम की खोज डी  डुबे  (De-Duve) ने 1955 मे अपने कार्यों के आधार पर किया था
* पेलाडे इसके कायिक लक्षणों के बारे में बताया और यह कार्य डी दुबे  के साथ किया जिसके लिए इन दोनों को नोबेल  पुरस्कार से सम्मानित किया गया 

* लाइसोसोम यकृत कोशिकाओं  अग्नाशय  कोशिका वृक्क कोशिका आदि में पाए जाते हैं

* लाइसोसोम में 30 से 35 जल अपघटन एंजाइम होते हैं

* लाइसोसोम अम्लीय  होते हैं जिसका PH मान 5 या 5 से कम होता है

* लाइसोसोम गोलाकार झिल्ली के जैसी संरचना में पाए जाते हैं जिसे रिक्तिका कहते हैं

* लाइसोसोम की संरचना (Structure of Lysosome)


* लाइसोसोम का निर्माण थैलिया (Vasicle) अथवा नलिकाओं (Tubules) के द्वारा होता है

* लाइसोसोम मुख्य रूप से जंतु कोशिकाओं में पाए जाते हैं
* लाइसोसोम एक स्तरीय झिल्ली का बना होता है जिसमें सैलिक अम्ल (Sialic acid) पाया जाता है

* लाइसोसोम डीएनए ,आर एन ए ,प्रोटीन आदि का पाचन करता है इसीलिए इसको आत्महत्या का थैला भी कहते हैं
लाइसोसोम निम्न प्रकार का होता है

प्राथमिक लाइसोसोम (Primary Lysosome)


* इसे प्रोटोलाइसोसोम (Protolilysosome) भी कहते हैं इसका निर्माण गोल्जी  बॉडी से होता है

* यह एक नए प्रकार का लाइसोसोम होता है जिसमें केवल एक प्रकार का पाचक एंजाइम होता है

* प्राथमिक लाइसोसोम को ग्रेन्यूलर भी कहते हैं

* प्राथमिक लाइसोसोम तक जब भोजन पहुंचता है तो भोजन आने की प्रक्रिया को इंडोसाइटोसिस (Endocytosis) कहते हैं

द्वितीयक लाइसोसोम (Secondary Lysosome)


* इसे हिट्रोलाइसोसोम (Hetrolysosome)भी कहते हैं

* यह  प्राइमरी लाइसोसोम और साइटोप्लास्मिक वेक्यूम (Cytoplasmic Vacuole) के साथ मिलकर हिट्रोफगोसोम का निर्माण करते हैं 

* द्वितीयक लाइसोसोम (Secondary lysosome) के द्वारा पचे हुए भोज्य पदार्थ को बाहर निकालने की प्रक्रिया को एक्सोसाइटोसिस कहते हैं

लाइसोसोम के कार्य (Function of Lysosome)


* लाइसोसोम में उपस्थित जल अपघटक एंजाइम (Hydrolytic enzyme)   बाह्य कोशिकीय अणुओ को पचाने का कार्य करते हैं यह पाचन पिनोसोम (Pinosome) या फगोसोम (Phagosome) में होता है
* लाइसोसोम कोशिका के अंदर उपस्थित प्रोटीन वसा कार्बोहाइड्रेट आदि पदार्थों का अंत: कोशिकीय  पाचन करते हैं
* लाइसोसोम कोशिका के विभिन्न organals  को  पचाने का कार्य करते हैं इस प्रक्रिया को ऑटो फगोसोम भी कहते हैं
* निषेचन के समय लाइसोसोमल एंजाइम Sperm के साथ  छोड़े जाते हैं जो Ovem की बाह्य परत को  पचाने (Digest) का कार्य करता है इस प्रकार लाइसोसोम बाह्य कोशिकीय पाचन को प्रदर्शित करते हैं

* उत्परिवर्तन के कारण लाइसोसोम के कार्य में भिन्नता आ जाती है जिससे विभिन्न प्रकार  की जन्मजात बीमारियां हो जाती है 

* पौधों की कोशिकाओं में छोटे-छोटे लाइसोसोम स्फेरोसोम (Spherosome) के रूप में पाए जाते हैं

* स्फेरोसोम  (Spherosome) का मुख्य कार्य लिपिड वसा आदि का पाचन करना

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